!! मेरे राम!! तुम जन जन में और मन मन में बसे हो राम हर कण कण और क्षण क्षण में बसे हो राम तुम हमारी वेदना की पुकार हो राम ऋषियों के निर्वेद का सार हो राम हमारी एकाकी जीवन की आस हो राम काया की हर धड़कन की सांस हो राम जीवन तुम्हारे बिन कल्पित नहीं राम तुम संग हो ये जीवन समर्पित है राम अयोध्या ने तुम बिन गुजारा है राम आज आए तुम अब सहारा है राम मेरे आंगन में अब दीप जलेंगे राम नि:शब्द थी मेरी लेखनी अब लिखेंगे राम मेरी निश्छल प्रेम का अँसुवन हो राम भक्तों के मन का इक उपवन हो राम वर्षों से थी विकलता हम खोजते थे राम लौट आए हैं अयोध्या में शबरी के राम!! ---- सौमित्र तिवारी"
!! माँ !!
मेरी ही सांसों का जीवन हो माँ, मेरी ही दुनिया का उपवन हो माँ, जीवन की ज्योति, समंदर हो तुम, मेरी आंखों की आशा का आंगन हो माँ !!
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