मेरे मित्रों.. अब एक बदलाव की बयार चलनी चाहिए....
बयार व्यवस्था परिवर्तन की हो....
उन्मादी घटियापन को उखाड़ फेंकने की हो...
परीक्षाओं को लीक कराने वाले सिस्टम के खिलाफ हो....
वो बयार हिटलरकारी नीतियों के खिलाफ हो....
अन्याय और अत्याचार को नहीं सहेंगे हम....
सत्ता के मनमाने पन को नहीं सुनेंगे हम..
हम नहीं मानेंगे निरंकुश्तावादी उन आदेशों को...
हम तब तक नहीं पोछेंगे अपने उन आंसुओं को....
जब तक हम हिसाब नहीं ले लेते..
सरकारों की कायरता का... उन में बैठे शिक्षा माफिया का.... पेपर लीक करने वाले महिषासुरों का....
हम चैन से नहीं बैठेंगे... हम चिल्लाएंगे...हम चीखेंगे... अपना विरोध व्यक्त करेंगे... हम लीक करेंगे उन सरकार की नाकामियों को.... संघर्ष करेंगे उन मुसोलिनी की ताकतों से...
हमें इंसाफ चाहिए... हर छात्रों के सपनों का इंसाफ चाहिए...उन मां बाप की आंखों के आंसुओं का इंसाफ.... जिन्होंने देखे थे ढेरो सारे सपने... बच्चों की कामयाबी का...
..... सौमित्र तिवारी
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