
----==पूर्णतः निजी विचार
सौमित्र तिवारी
कुंभ प्रशासन से जो चूक हुई है उसको बिन्दुवार तरीके से हम बता रहे हैं...
*पहला* - पुलिस प्रशासन और मेला प्रशासन को कुंभ के पहले प्रयागराज के लोकल के रहने वाले गणमान्य लोगों से, उम्र दराज लोगों से, अनुभवी लोगों से कुंभ के शासन प्रशासन व्यवस्था पर चर्चा पर चर्चा करना चाहिए था... की किस प्रकार की व्यवस्था की जानी चाहिए... जिससे की समस्या ना उत्पन्न होने पाए.. तो हर कोई अपना एक अच्छा आईडिया जरूर देता... जो कि प्रशासन के लिए काफी काम आता
*दूसरा* - अगर सरकार 5,000 करोड़ खर्च कर रही है.... और बदले में 30,000 करोड़ प्लस कमा रही है... तो प्रशासन को सबसे पहले प्रयागराज की लोकल के रहने वाले 5,000 वालंटियर को भर्ती करना चाहिए था... उनका कुंभ के दौरान 45 दिन का प्रत्येक वालंटियर को ₹15,000-20,000 देना चाहिए था.... उसके बदले प्रशासन इन वालंटियर को जगह-जगह चौराहे पर महत्वपूर्ण स्थान पर और मेला क्षेत्र में लगा करके आने जाने वाले श्रद्धालओं को रास्ता बताते, और उनकी हर संभव सहायता करते हुए उनको उनके गंतव्य तक पहुंचा देते ... क्योंकि इसमें 80% पुलिसकर्मी बाहर से आए हुए हैं उनको यहां की सिचुएशंस और रास्ते का कोई ज्ञान नहीं है... और वह श्रद्धालुओं को सही मार्गदर्शन देने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं.... तो इसकी भरपाई इन वालंटियर के द्वारा की जा सकती थी...
*तीसरा* - इलाहाबाद की केंद्रीय यूनिवर्सिटी आपके अधिकार क्षेत्र में है... तो आपको पहले ही इन यूनिवर्सिटी श्रद्धालुओं के लिए उनके ठहरने के लिए खोल देना चाहिए था... इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संबंधित जितने भी छात्रावास हैं... उनको ओपन करके केवल श्रद्धालुओं को आराम करने के लिए जगह दे देते... तब भीड़भाड़ और भगदड़ वाली स्थिति नहीं हो सकती थी.... क्योंकि लोग काफी दूर से चलते हुए आए हुए थे और जाकर के संगम पर रुकते थे.... यदि वे यूनिवर्सिटी आसपास के छात्रावासों पर रुकते तो आगे की राह आसान हो जाती... और लोगों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता...
*चौथा* - जो कुंभ के प्रचार का जिम्मा मीडिया और सरकार के द्वारा किया जा रहा है... अगर यही प्रचार और प्रोत्साहन छोटा बघाड़ा, सलोरी, कटरा,इलाहबाद यूनिवर्सिटी, अल्लापुर के बच्चों से श्रद्धालुओं के मार्गदर्शन और सेवा करने की अपील की जाती.... लगातार सेवा कर रहे बच्चों को प्रोत्साहन दिया जाता.... तब स्थिति काफी अच्छी और सुदृढ़ होती ,, फिर किसी प्रकार की बाधा और कष्टों का सामना श्रद्धालुओं को नहीं करना पड़ता....
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